बहना है~ यूंही
और क्षितिज से डूबता सूरज
जिसकी लालिमा, पूरे गगन को अपनी लाली से चूम लेता है।
और अपनी किरणें, तुम पर भी बिखेर, तुम्हें अलविदा कहता है।
तुम इस पर इठलाती हो, अपनी हल्की सी मुसकान लिए बहती चली जाती हो।
बहाव ही तो तुम्हारी प्रकृति है,
न मंज़िल की फिकर, न कल का डर।
कभी तुम्हारी लहरें यूंही उछल, किनारे रेत को चूम जाती है,
कभी तुम्हारी नीरव लहरें ही, एक थके राही की थकान ले जाती है।
तुम्हारी बहाव में पंछियों की गूँज है, वो खिलखिलाती चहचहाहट।
चट्टानों को गले लगाती, तो नाविक को नौका पार कराती।
आखिर, तुम्हारा ही हाथ थामे तो, तुमसे पार जाना है |
उस पार? किस पार?
कोई नाम नहीं, उसका, कोई ठिकाना नहीं।
बस तुम हो और तुम्हारी ये शीतलता।
ये मद्धिम बहाव।
मुझे भी बस यूंही बहना है, तुममें, तुमसे,
इस कदर की बस तुम हो, तुम रहो.
और ये बहाव।
By-the-river-side |
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