Reading 26 :- संघर्ष अपने विरुद्ध :- पाठ १ - दूसरों के खिलाफ जाना आसान है , अपने खिलाफ जाना मुश्किल
ऐसा बिलकुल नहीं है |
सांसारिक दुनिया हो या अध्यात्म की दुनिया – दोनों ही जगह
संघर्ष और दवाब है , बस गुण और श्रेणी अलग हैं |
भीतर की दुनिया में सफल होना और भी मुश्किल है , बाहर की
दुनिया के मुकाबले |
भीतर और ज्यादा लड़ना पड़ता है , हर पल | अध्यात्म में संघर्ष
का कोई अंत ही नहीं है |
कमजोर लोग अगर बाहर नहीं सफल हो रहे , तो भीतर तो बिलकुल ही
नहीं है |
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अध्यात्म |
सांसारिक |
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दवाब झेलने की वजह |
जो व्यर्थ हासिल किया है , उसे छोड़ने के लिए | जो हासिल किया है , वो छूटना नहीं चाहता | |
कुछ हासिल करने के लिए | |
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सफलता के लिए संसाधन |
संघर्ष , श्रम , विवेक पता होना चाहिए , कि बुद्धि को संचालित कौन कर
रहा है | |
संघर्ष , श्रम , बुद्धि |
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विवेक , अन्तर्दृष्टि , अंतर्गमन , नियति ,
सत्यनिष्ठा | |
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संघर्ष किसके खिलाफ ? |
अपने ही खिलाफ |
बाहरी कामना के खिलाफ |
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सफलता क्या ? |
अपनी हर कमजोरी को मिटा देना | एक भी कमजोरी
नहीं रहनी चाहिए | |
अपना नाम बना लिया , पैसा कमा लिया सम्मान पा लिया ऊँची पदवी हासिल कर ली | |
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अध्यात्म संघर्ष मांगती है |
असली शान्ति के लिए बहुत संघर्षों से गुजरना होगा |
शांति से पहले क्रान्ति | आतंरिक युद्ध |
दूसरों के खिलाफ लड़ना कहीं ज्यादा आसान है , अपने खिलाफ
लड़ने से |
दूसरों को कुछ सिद्ध कर देना , जता देना , साबित कर देना
कहीं आसान है , अपनी ही साक्षी दृष्टि के सामने अपनी सत्यता प्रमाणित करने से |
दूसरों को तो जता आते हैं , कि हम बड़े आदमी है , सच्चे आदमी
है , खुद को ये प्रमाणित करना बेहद मुश्किल |
अध्यात्म का मतलब है किसी और के सामने कुछ नहीं प्रमाणित
करना | अपना निर्णय स्वयं लेना है |
असली अध्यात्म से तो ज्यादातर लोग घबराते हैं क्यूंकि वहां
वास्तविकता सामने आती है |
असली लड़ाई अध्यात्म की ही है , वहां लाभ भी असली होगा |
अनुशाषण , दर्द , श्रम , संघर्ष आदि सब कुछ ज्यादा होगा ;
पर हासिल जो होगा – वो सच्चा और अपना होगा |
जो भीतर नहीं देखेगा , उसके लिए बाहर देखना अनिवार्यता बन
जायेगी |
भीतर वाली लड़ाई जीत लो , बाहर की सब लड़ाई आसान हो जाती है |
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